.........मेरे मायालोक कि विभूति बिखर जाएगी।
                                                     किरण मर जाएगी।
लाल होके झलकेगा भोर का आलोक-
डर का रहस्य ओठ सकेंगे न रोक ।
प्यार की नीहार बूँद मूक झर जायगी।
                                 इसी बीच किरण मर जाएगी।
ओप देगा व्योम स्लथ कुहासे का जाल,
कडी-कडी छिन्न होगी तारकों की झाल।
मेरे मायालोक की विभूती  बीखर जायेगी।
             इसी बीच किरण मर जायेगी।
                   नदी के द्वीप (पृ.151)
                                 अजेय
Sunday, April 20, 2008
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2 comments:
nice collection pankaj....... :)
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