Sunday, April 20, 2008

मैं फिर आउंगा

मैं फिर आउंगा
भले ही जन्मांतर के बाद
तुम्हारे ही पास
मैं झगडा करुँगा
देवताओ से
और नक्षत्रों की बाधाएँ पार करके
सुबह खिड़की पर अकस्मात आए
दूर-देश के पँक्षी की तरह
या गलत करवट सोने के बाद
बाँह में हुए दर्द की तरह
मैं आऊँगा
सब कुछ राख हो जाने के बाद भी
बची रह गई पवित्र चिंगारी की तरह
-अशोक वाजपेयी

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