मैं फिर आउंगा
भले ही जन्मांतर के बाद
तुम्हारे ही पास
मैं झगडा करुँगा
देवताओ से
और नक्षत्रों की बाधाएँ पार करके
सुबह खिड़की पर अकस्मात आए
दूर-देश के पँक्षी की तरह
या गलत करवट सोने के बाद
बाँह में हुए दर्द की तरह
मैं आऊँगा
सब कुछ राख हो जाने के बाद भी
बची रह गई पवित्र चिंगारी की तरह
-अशोक वाजपेयी
Sunday, April 20, 2008
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